Slumdog Millionaire के ऑस्कर जीतने के बाद हाल ही में किसी समाचार पत्र में मैंने एक सवाल देखा कि हमारे देश में स्वदेसी फ़िल्म मेकर्स ऐसी फिल्में क्यों नहीं बनाते? फिर पता चला कि दरअसल Johnny Gaddar वाले श्रीराम राघवन को इस उपन्यास पर फ़िल्म बनाने का मन था पर तब तक Q & A के अधिकार चैनल 4 ने खरीद लिए थे। वरना राघवन ने ये फ़िल्म बनाई होती और चाहे जितनी भी बेहतरीन बनाई होती ऑस्कर की छोडिये उन्हें एक चिंदी सा फ़िल्मफेयर अवार्ड भी नसीब न होता। खैर ये एक बहस का मुद्दा है और मैं बहस के मूड में नहीं। मैं सोच रहा हूँ Q & A बॉलीवुड में ना भी बनी हो तो भी अपने यहाँ ज्वलंत मुद्दों पर प्रश्न उठाती फिल्मों की कोई कमी नहीं, और फिल्मों में ज्वलंत प्रश्न पूछने वाले चरित्रों की कोई कमी नहीं।
आज बैठे बैठे मैंने सोचा तो पाया कि प्रश्नचिन्ह या अंग्रेज़ी में कहें तो Question Mark वाली ढेर सारी फिल्में बनी हैं अपने यहाँ - ये आग कब बुझेगी? , आख़िर क्यों?, जाने होगा क्या?, वो कौन थी? (बाकी के नाम काफ़ी सी ग्रेड हैं, और मेरा ब्लॉग बाल-बच्चेदार लोगों के अलावा बाल बच्चे भी पढ़ते हैं सो उनके नाम यहाँ ना ही लिखे जाएँ तो बेहतर है) । खैर हम बात कर रहे थे प्रश्नों की तो IMHO गब्बर सिंह का स्थान बाकी चरित्रों से कहीं ऊंचा होगा। ज़रा सोच कर देखिये कितने चरित्रों का Intro Dialogue एक प्रश्न से शुरू हुआ है-'कितने आदमी थे?'
और उसके बाद तो गब्बर ने प्रश्नों की बौछार ही कर दी -
कितना इनाम रक्खे है सरकार हम पर?
क्या सोचा था सरदार खुस होगा? साब्बासी देगा...क्यों?
इस बन्दूक में कितनी गोलियाँ हैं?
तेरा क्या होगा कालिया?
होली कब है ? कब है होली?
ये रामगढ वाले अपनी छोकरियों को किस चक्की का आटा खिलाते हैं रे?
'कालिया तो कहता था दो हैं? कहाँ है रे फौजी नम्बर दो?
हिन्दी फ़िल्म इतिहास में शायद ही किसी विलन ने एक ही फ़िल्म में इतने सवाल किए होंगे। मगर शोले में सिर्फ़ विलन ने सवाल किए हों ऐसा नहीं। हमारे हीरो लोगो ने भी काफ़ी सवाल किए थे -
'क्या बोलता है पार्टनर?'
'तुम्हारा नाम क्या है बसंती?' वगैरह।
चरित्र कलाकार मेरा मतलब कैरेक्टर आर्टिस्ट्स भी क्यों पीछे रहते सो A.K.हंगल साहब ने अपनी कांपती आवाज़ में सवाल किया - इतना सन्नाटा क्यों है भाई?
अगला सवाल जो मैं नहीं भूल पाता वो पूछा था एंथनी भाई ने फ़िल्म अमर, अकबर एंथनी में - "ऐसे तो आदमी लाइफ में दोइच टाइम भागता है, या तो ओलिम्पिक का रेस हो या पुलिस का केस हो, तुम किस लिए भागता है भाई?"
भाई शब्द से मुझे याद आ जाती है फ़िल्म दीवार, जिसमें सलीम-जावेद कि जोड़ी ने कुछ बड़े ही बेहतरीन सवाल लिखे मगर इस बार सवाल दो भाइयों के बीच थे -
'भाई तुम साइन करते हो या नहीं?'
'आज मेरे पास बिल्डिंगें हैं, Property है, बैंक बैलेंस है, बंगला है, गाड़ी है, क्या है तुम्हारे पास?'
सिर्फ़ संवादों में सवालों को जगह मिली हो ऐसा नहीं है। कई सुपर हिट गीत सवालिया हैं। अब नागिन के गाने तन डोले मेरा मन डोले को ही ले लो। वैजयंती माला को टेंशन है की इतनी रात गए आख़िर 'कौन बजाये रे बाँसुरिया?' । सही भी है कल को आपके घर के नीचे कोई बेसुरी बाँसुरिया बजा कर गुस्से से आपके तन-मन दोनों को डोलने पर मजबूर करनेवाला कोई पड़ोसी आ गया आप भी पूछेंगे 'कौन बजाये रे बाँसुरिया?'
फिर कुछ भक्त टाइप के सवालिया गाने भी होते हैं जैसे - 'ज़रा सामने तो आओ छलिये, छुप छुप छलने में क्या राज़ है?' मगर इस तरह के सवालों में प्रायः उनके जवाब भी छिपे होते हैं, सो उन्हें स्यूडो सवालिया गाने बोलना बेहतर होगा।
उसके बाद छेड़छाड़-नुमा सवालिया गाने होते हैं जिन्हें लिखने में मजरूह साहब और आनंद बक्षी बड़े एक्सपर्ट थे।
मजरूह साहब के लिखे सवालिया गीतों में मेरा पसंदीदा है - "C A T CAT...Cat मानें बिल्ली, R A T RAT...Rat माने चूहा, दिल है तेरे पंजे में तो क्या हुआ?" आनंद बक्षी ने तो शायद सैकड़ों सवालिया गीत लिखे हैं - बागों में बहार है? और भी न जाने क्या क्या। मगर जब नये छोकरे नितिन ने सवालिया गीतों पर अपना हाथ ट्राई करने के लिए लिखा - 'आती क्या खंडाला' तो ये मजरूह साहब को नागवार गुज़रा और उन्होंने बेचारे नितिन पर ऐसी टिप्पणी कर दी कि दुखते दिल से नितिन ने उन्हें उस उमर में कचहरी का मुँह दिखा दिया और मजरूह साहब को उसने दुहाई भी दी तो उनके लिखे चूहे बिल्ली वाले उपरोक्त गीत की ही। मजरूह साहब को लिखित में इस नए नवेले गीतकार से माफ़ी मांगनी पड़ गई थी।
इसके अलावा होपलेस सवालिया गीत भी एक ढूंढो हज़ार मिलते हैं जैसे 'अब कहाँ जाएँ हम?' या 'जाएँ तो जाएँ कहाँ' वगैरह।
तो कहने का मतलब ये कि जिस देश में पहले ही इतने सवाल मौजूद हैं वहाँ अगर कोई आ कर Q&A पर एक फ़िल्म बना ही लेता है तो उसपर सवाल क्यों खड़े करना? और वैसे भी श्रीराम राघवन अगर ये फ़िल्म बनाये तो हमारे देशवासी वैसे भी फ़िल्म देखने नहीं जाने वाले, Johnny Gaddar जैसी शानदार फ़िल्म को हमारे लोगों ने नकार दिया। हाँ अगर Q&A इम्पोर्टेड माल बन कर हमारे पास पहुंचे हम उसे हाथों हाथ लेंगे ठीक उसी तरह जैसे योग वहाँ से लौट कर योगा बन जाए तो हम खुले हाथों से उसे अपनाने को तैयार हैं।
अच्छे फिल्मकार हमारे यहाँ भी हैं पर क्या हम उन्हें स्वीकार करने को तैयार हैं?
अब मुझे ये सवाल सता रहा है कि मैंने ये पोस्ट आख़िर किस विचार से शुरू की थी? मैंने होली की शुभकामनायें देने को पोस्ट शुरू की थी, होली की सोची तो गब्बर का सवाल याद आया और गब्बर के सवालों की सोची तो बाकी के सवाल दिमाग में आने लगे। आदत से मजबूर हैं क्या करें। बुरा ना मानो होली है ! आप सभी को रंगों के त्यौहार की रंगभरी शुभकामनायें.....
होली कल है....कल है होली!!!
9 comments:
aaaaaaaaaaaargh! translate in english!
i wish we had the option of commenting in hindi:)
yaar maza aa gaya...ittte din baad ittti saari hindi padhne mein:)
wah...wah...wah wah...wah....wah...:)
haha... Holi kal hain kal hain holi... ;)
aapki baat mein solid dum hain... I saw SM and I felt it was gud but then, we have also made many such movies here in India...
I think the best thing is our technicians were appreciated irrespective of their nationality...
aur haan...yahan toh life hi ek ajeeb sawaal banaa hain hum sabka... ;) Sawaal pe Sawaal(Sunny Paaji)
@ Trinaa - I started the post in English only, but took a U turn and wrote everything in Hindi later. ;) Kabhi Kabhi Hindi bhi padh leni chahiye...
@ Santasizing - Hahaha...Itti Saari Hindi...Tab to U should try my new year Hindi Post or my Hindi Blog..
@ Harshita - Holi Kal Thi...Kal Thi Holi...Yep I agree our otherwise ignored technicians got appreciated and even I am glad for that.
agree with you on the slumdog view.. although yes i'm happy indians were recognized.. movie was err..ho hum.. whatever!
btw, happy holi!!
lolz...
in the same line of action, allow me to ask u-
tum itne sawal kyon poochhte ho gabbar?? :P
n u forgot the paresh rawal's chahracter in the movie Judai :D
ek toh hindi, upar se itna LAMMMMmmbbbaaaa bhashan. one suggestion: put the movie names and actor names in BOLD so its easier to scan through.
i have 3 hours waiting to catch a plane, so i did bother to read this and despite the eye-chart, you've done a fantastic job at humor. So many fav dialogues in one post, mazaa aa gaya. It sounds so unfair that there is such wealth of AWESOMEness in Bollywood history, yet what the world believes to be Bollywood is 2 Brits doing aerobics at VT station! Jai Ho :-(
Someone mentioned Paresh Rawal above. My fav Paresh Sawal is from Hera Pheri: "Yeh Gun Kiski Hai Bhai? Baad Mein Bolna Nahi Maine Chura Li".
And you forgot to mention the beginning of the end: RGV's first of many duds to come--- KAUN?
Greeat post thank you
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